कैसे कहूँ ?

 *** कैसे कहूँ ? ***

कैसे कहूँ  सुमीत सिवाल
कैसे कहूँ ?


ज़िन्दगी कितना गहरा राज़ है कैसे कहूँ ?
इसका वखरा ही अंदाज़ है, कैसे कहूँ ?

किस्मत बदलने वालों का अब हाल तो देखो,
उनसे किस्मत भी नाराज़ है, कैसे कहूँ ?

 बीते हुए कल का किस्सा तुम्हें कल सुनाऊंगा,
मगर हाल मेरा जो आज है, कैसे कहूँ ?

बचपन के मेलों में मैं अपने घर की तरफ देखता था,
ये दिल आज भी खिलौनों का मोहताज़ है, कैसे कहूँ ?

ताज बनाने की इजाजत उनसे ले तो लूँ पर,
गुस्से में बड़ी मुमताज़ है, कैसे कहूँ ?

कोई ग़म हो अपनों को बताना बंद किया मैंने,
हर भरोसेमंद शख्स दगाबाज़ है, कैसे कहूँ ?

बताना तो चाहता है 'सुमीत' हर लफ्ज दास्ताँ अपनी,
पर चुप आज दिल की आवाज है, कैसे कहूँ ?


 ✍️सुमीत सिवाल...

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