करतब...

🌹🌹🌹 करतब 🌹🌹🌹




उगे पश्चिम से जो ऐसा... रवि अब हो नहीं सकता,  
बने कुछ भी, मगर इंसा... कभी रब हो नहीं सकता !

कई सदियाँ गुज़र जाती हैं , एक-एक बूँद बनने में, 
तूँ चाहे जो, वो एक पल में अभी सब हो नहीं सकता !

मसीहा बनके ख़ुद, सब की बुझा दे प्यास अमृत से... 
यहाँ पर ख़ुशनसीब इतना कोई लब हो नहीं सकता !

तेरी चाहत है... सब तारे जमीं पर तोड़ लाए पर, 
बिना चंदा, बिना तारे... कभी नभ हो नहीं सकता !

किसी भूखे को दो रोटी खिला भी ना सके दो वक़्त, 
कभी मजबूर इतना भी तो मज़हब हो नहीं सकता ! 

हर एक दिल में जगा इंसानियत की लौ 'सुमीत' हर पल, 
ख़ुदा चाहे तो फिर ऐसा क्या करतब हो नहीं सकता ! 


✍️सुमीत सिवाल... 

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