***बोझ*** बोझ थोड़ा-थोड़ा करके रोज बढ़ता है, आज के बचपन पे बोझ पड़ता है, कोई तो रहम भी कर दो मासूम नन्ही जान पे... इसे तकलीफ देकर मिली मौज, जड़ता है। ✍️सुमीत सिवाल...
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