🙏🤰*** माँ ***🤱🙏 माँ ढूंढते रहते हो क़िस्मत को हथेलियों पर,इन कटी-फटी लकीरों में आखिर रचा क्या है ?गौर से कभी दो पल माँ की आँखें देखो....और दुनिया में देखने लायक बचा क्या है ?✍️सुमीत सिवाल...
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