*** पुराने लोग ***
पुराने लोग |
मकान नए बनते रहते हैं...
लोग पुराने हो जाते हैं !
घर की चौखट से बाहर निकलते ही...
शरीफ लोग जाने-माने हो जाते हैं !
सुर और लय की ताल मिलते ही...
टूटे-फूटे लफ्ज़ तराने हो जाते हैं !
पाते ही एक झलक अपने महबूब की...
क़लन्दर लोग दीवाने हो जाते हैं !
दोस्ती में ज़रा सी कड़वाहट आते ही...
मीठे-मीठे बोल अक्सर ताने हो जाते हैं !
मिट्टी के बिस्तर पर सोकर तो देखो...
ताउम्र के ख्वाब सुहाने हो जाते हैं !
आप जो ख्वाबों में आना छोड़ दें...
खिले हुए चमन वीराने हो जाते हैं !
ज़िन्दगी पल-पल घट रही है साहिब...
लो हम भी गुज़रे जमाने हो जाते हैं !
पुस्तैनी ज़मीन को कभी गिरवी मत रखना...
हरे-भरे खेत कारखाने हो जाते हैं !
बीमारी के आलम में ये नज़ारा देखा हमने...
बेटियाँ पैरों में... बेटे सिरहाने हो जाते हैं !
बचपन गया... जवानी गुज़री..."सुमीत"...
आओ अब तो सयाने हो जाते हैं !
*सुमीत सिवाल*