🤝🤝🤝 पाक़ दोस्ती 🤝🤝🤝
पाक़ दोस्ती |
बकाया हिसाब जैसे बरसों का चुका रहें हैं हम,
एक दोस्त होने का अच्छा फर्ज़ निभा रहें हैं हम !
लग चुकी है पीढ़ी दर पीढ़ी रिश्तों की चादर पे जो,
अपने हाथों से ही वो धूल-मिटटी हटा रहें हैं हम !
लिख दिया था कभी जो नाम गहरी स्याही से हमने,
कुरेद-कुरेद कर वो नाम दिल से मिटा रहें हैं हम !
भूल गए होंगे शायद वो हमें अपना दोस्त कहकर,
पर आज भी बिन सोचे वो हक़ जता रहें हैं हम !
तुम्हारी हर इक बात को बड़े दिल से सुना था हमने,
अब वो बात सुनो जो बात तुम्हें बता रहें हैं हम !
ये दोस्ती ज़िन्दगी है, इक रोज़ यही कहा था तुमने,
इसी बात का एहसास आज तुम्हें करा रहें हैं हम !
दोस्ती गर नाम है सच्चे रब का, तो ये लो 'सुमीत'...
उसी शिद्दत से ये सर तेरे सामने झुका रहें हैं हम !
✍️ सुमीत सिवाल...
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