🧘♂️ *** ज़ारी रहा ***🧘♂️
ज़ारी रहा |
लड़ने का फितूर, झूठ का सिलसिला जारी रहा,
बस मैं ही था एक जो राम का पुजारी रहा !
दुनिया में खुशियाँ बाँटता फिरता गया लेकिन...
मैं हमेशा से यहाँ दाम का भिखारी रहा !
लोगों ने जमकर शिकार किया मेरा...
मैं यहाँ सिर्फ नाम का शिकारी रहा !
मौके मुझे भी दिए तकदीर ने रईस बनने के...
मगर मैं नादान काम का ईमानदारी रहा !
इक पल भी मैं चैन से ना जी पाया सच में...
मेरे लिए हर वक़्त आराम बीमारी रहा !
सफ़र ये उम्रभर साँसों का यूँ चलता गया "सुमीत"...
मेरे मन का सवेरा और अन्धेरा शाम का जारी रहा !
✍️सुमीत सिवाल ...
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