😌 *** तू भी है *** 😌
तू भी है |
बस्ती-बस्ती घोर उदासी पर्वत-पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस-घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है...
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन !
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर...
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है ?
जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है
कतरा-कतरा सागर तक तो, जाती है हर उम्र मगर...
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है !
इस उड़ान पर अब शर्मिंदा, मैं भी हूँ और तू भी है
आसमान से गिरा परिंदा, मैं भी हूँ और तू भी है
छूट गयी रस्ते में जीने-मरने की सारी कसमें...
अपने-अपने हाल में जिंदा, मैं भी हूँ और तू भी है !
बीच भंवर भटकी कश्ती-सा, मैं भी हूँ और तू भी है,
एक दूजे के दिल का हिस्सा, मैं भी हूँ और तू भी है,
राधा-कृष्णा, हीर और रांझा या हो फिर सोनी-महिवाल...
इन जैसी हस्ती का किस्सा, मैं भी हूँ और तू भी है !
😌🙏☺️
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