*** आज़ाद परिंदा 🕊️ *** आज़ाद परिंदा सोने का जो पिंजरा था बर्बाद हो गया आज, सदियों से क़ैदी था परिंदा आज़ाद हो गया आज, उड़ा वो बाहें फैलाकर कुछ यूँ लगा जैसे... वीरान जो पड़ा था आसमान आबाद हो गया आज। ✍️सुमीत सिवाल 🐦
No comments:
Post a Comment
Please don't enter any spam link in comment box ! 🙏