*** उठो तो सही ***
उठो तो सही |
वक़्त दे रहा है पुकार... उठो तो सही...
इतनी जल्दी गए हार... उठो तो सही... !
अभी तो बदन में लहू का आख़िरी कतरा बाकी है...
वो दुश्मन भर रहा हुंकार... उठो तो सही !
और कैसे निगल रहा देखो अंधेरा सूरज को...
हो रही इंसानियत तार-तार... उठो तो सही !
सही वक़्त है ये कुछ कर दिखाने का...
बस अब करो पलटवार... उठो तो सही !
मुसीबतों के सामने झुकने से तो अच्छा है...
कोशिश करो बार-बार... उठो तो सही !
वो बढ़ रही आग की लपटें अपने घर की ओर...
खतरे में है परिवार... उठो तो सही !
चैन की नींद तुम सो कैसे सकते हो जब...
मच रहा गली में हाहाकार... उठो तो सही !
झूठ सुनने की आदत शायद पड़ गई है तुमको...
सच से मत करो इंकार... उठो तो सही !
बहुत भटक लिए दूर-दूर तक समंदर में तुम...
अब तो सम्भालो पतवार... उठो तो सही !
हुआ खुशियों का सौदा तो किसी के गम ही बेच डाले...
बंद करो ये व्यापार... उठो तो सही !
किसी को इतना तड़पा के...नमक जख्मों पे छिड़का के...
करोगे कब तक ये अत्याचार... उठो तो सही !
वादे सारे झूठमूठ के... कब तक तुम यूँ उठ-उठ के...
गिरोगे कितनी बार सरकार... उठो तो सही !
नसीहत दे रहा तुमको... "सुमीत" समझा रहा सबको...
जगो अब बस करो मेरे यार... उठो तो सही !
*** सुमीत सिवाल ***
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