समझ जाओगे मुझे जिस दिन तो समझूँगा समझदार तुम्हें,
करोगे वफ़ा से वफ़ा जिस पल... मानूँगा वफ़ादार तुम्हें,
यूँ बस कह देने से किसी पर हक़ जताया नहीं जाता यहाँ...
हक़ से कहोगे अपना तो मानूँगा सच्चा हक़दार तुम्हें !
✍️ सुमीत सिवाल...
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Sumeet Kavyatra : A Poetry from Core of my Heart, Masoom Parinda, Adhyatmik, KavyatraSumeet, Shayri, Poems, Sher-o-shayri, Addons, Ghazal, Nazm.
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