*** कीमत *** कीमत मनाता हूँ ख़ादिम की तरह तो रूठता बहुत है, वो ज़ालिम मेरे अंदर आजकल टूटता बहुत है, चाहता हूँ प्यार... तो मांगता है कीमत इसकी... वो इस क़दर सरे बाजार हमें लूटता बहुत है ! ✍️सुमीत सिवाल...
No comments:
Post a Comment
Please don't enter any spam link in comment box ! 🙏