🙎♂️ *** शिक्षक *** 🙎♂️
शिक्षक |
सुन्दर सुर सजाने को साज बनाता हूँ,
नौसिखिये परिंदों को बाज़ बनाता हूँ !
चुपचाप सुनता हूँ शिकायतें सबकी...
तब दुनिया बदलने की आवाज़ बनाता हूँ !
समन्दर तो परखता है होंसले कश्तियों के,
और मैं, डूबती कश्तियों को जहाज बनाता हूँ !
बनाये चाहे चाँद पर कोई बुर्ज ए खलीफा...
मैं तो कच्ची ईंटों से ताज बनाता हूँ !
ढूँढों मेरा मजहब जाके इन किताबों में,
मैं तो उन्हीं से आरती और नमाज़ बनाता हूँ !
न मुझसे सीखने आना कभी जंतर जुगाड़ के...
मैं तो मेहनत लगन के रिवाज़ बनाता हूँ !
नजूमी-ज्योतिषी छोड़ दो तारों को तकना तुम...
है जो आने वाला कल उसे मैं आज बनाता हूँ ।
🙏☺️🙏
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