पृष्ठ (वरक )

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वरक 

जहाँ पर खत्म होती थी मेरी ख्वाहिश की जिद्द कल तक,

उसी इक मोड़ तक ख़ुद के सफ़र को मोड़ रखा है,

किताब-ए-ज़िन्दगी यूँ पढ़ रही है आजकल दुनिया...

तुम्हारे नाम का इक पृष्ठ अब भी छोड़ रखा है ! 


🙏📖✍️

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