ज़िन्दगी...


 🌷🌷🌷 ज़िन्दगी 🌹🌹🌹

ज़िन्दगी
ज़िन्दगी 

ज़िन्दगी बेरंग है लेकिन गुलाब सी लगती है,
जायका खराब है इसका पर स्वाद सी लगती है।

हर पन्ना भी तमन्ना रखता है पढ़ने की,
ज़िन्दगी अब हमें खुली किताब सी लगती है।

और आँखों से होकर नस-नस में उतरती है,
हर निगाह हमें एक घूँट शराब सी लगती है।

क़ब्र में भी जीने  का एहसास दिला जाती है,
पैरों की आहट हमें अब भी ख्वाब सी लगती है। 

जरूरतमंद लोगों की मदद में खो गया सब कुछ,
मगर मुफलिसी ! तू अब हमें नवाब सी लगती है।

मोहब्बत को सिर्फ दिल से महसूस किया जाए,
इसे गर छू के देखो तो ये तेज़ाब सी लगती है। 

करा देती है वाकिफ़ दुनिया की हर असलियत से... 
ये शराफत की चादर हमें नकाब सी लगती है ! 

मिटने नहीं देती दिल से वतन का नाम कभी भी... 
सजदे में माँगी हर दुआ हमें इंक़लाब सी लगती है ! 

चटकती धूप में तपता रहा ये बदन उम्र भर,
सुमीत ! ये ज़िन्दगी अब सच कहूँ मेहताब सी लगती है। 

  
 ✍️ सुमीत सिवाल🌹

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