😌 *** नहीं जाती *** 😌
नहीं जाती |
मियाँ मैं शेर हूँ शेरों की गुर्राहट नहीं जाती,
मैं लहजा नर्म भी रखूँ तो झुंझलाहट नहीं जाती !
मैं इक दिन बेख़याली में कहीं सच बोल बैठा था,
मैं कोशिश कर चुका हूँ मुँह की कडुवाहट नहीं जाती !
जहाँ मैं हूँ वहाँ आवाज़ देना जुर्म ठहरा है,
जहाँ वो है वहाँ तक पाँव की आहट नहीं जाती !
मोहब्बत का ये जज्बा जब ख़ुदा की देन है भाई,
तो मेरे रास्ते से क्यूँ ये दुनिया हट नहीं जाती !
वो मुझसे बेतकल्लुफ़ हो के मिलता है मगर फिर भी,
न जाने क्यूँ मेरे चेहरे से घबराहट नहीं जाती !
एक मैं हूँ हंसी भी जिस तलक आने से डरती है,
और एक वो जिस के होंठों से मुस्कुराहट नहीं जाती !
🙏☺️😌🙏
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