📖 *** डायरी के पन्ने *** 📖
डायरी के पन्ने |
मेरी डायरी के पन्ने बोलते बहुत हैं...
मै राज़ छुपाता हूँ , ये खोलते बहुत हैं ।
दिल के शहर का दिल ही, दुश्मन बना मिलता है...
दिल में रहने वाले दिल तोड़ते बहुत हैं ।
वैसे तो लोग प्यार झूठ से करते बहुत हैं...
बात दिल दुखाने की हो तो सच बोलते बहुत हैं ।
तड़पते हैं , मचलते हैं , जुदा जब होते हैं...
जाते-जाते वो बार-बार लोटते बहुत हैं ।
चलो गमों को ही घर का रास्ता बता दूं...
खुशी के लम्हे साथ छोड़ते बहुत हैं ।
😌🐥☺️🙏
No comments:
Post a Comment
Please don't enter any spam link in comment box ! 🙏