🍃🍂 सूखे पत्ते 🍂🍃
सूखे पत्ते |
उसने बिल्कुल सही सुना था,
मैंने शायद वही कहा था
होशियारी से मिटा के उसने,
नाम के ऊपर नाम लिखा था
उम्र काट कर उसने मेरी,
बदन को वापस भेज दिया था
जोड़ रहा था वो घर अपना,
मैं अपना घर तोड़ रहा था
मुझमें लम्बी दूरी वाला,
रस्ता कोई ठहर गया था
बंद पड़े घर की खिडक़ी से,
मैं दरवाज़ा देख रहा था !
पाकर मुझको लौट गया वो,
और मैं खुद को ढूँढ रहा था
बूढ़ा पेड़ हवा को छू कर,
सूखे पत्ते तोड़ रहा था !
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