*** कली *** कली मुमकिन हैं किसी दिन ये देह भी धूल हो जाए, पाके इस पाक मिटटी को कोई कली कब फूल हो जाए, छूना ज़रा इसे संभल कर ए बदलते मौसमों... कभी कोई सूखी पत्ती भी इस बदल में शूल हो जाए। ✍️सुमीत सिवाल🌷🥀
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